अटल पेंशन, दीन दयाल उपाध्याय योजना सही, तो फिर समाजवादी पेंशन गलत कैसे फर् यूपी में भाजपा की नई सरकार बनने के बाद समाजवादी शब्द को हर बैनर पोस्टर और सरकारी योजनाओं से हटाने का काम तेजी से शुरू हो गया है। एम्बुलेंस, आवास और कई अन्य योजनाओं के साथ ही अब समाजवादी पेंशन योजना से भी समाजवादी शब्द हटेगा। इस योजना का नाम मुख्यमंत्री पेंशन योजना या बाद में दीन दयाल उपाध्याय पेंशन योजना हो सकती है। हालांकि सबसे बड़ा सवाल ये है कि जब अटल पेंशन योजना, दीन दयाल उपाध्याय अंत्योदय योजना, राजीव गांधी आवास योजना समेत सैकड़ों योजनाएं बड़ी ही आसानी से चल सकती हैं तो फिर समाजवादी शब्द से इतनी नफरत क्यों है। जबकि समाजवादी शब्द का मतलब सेक्यूलर से है। भाजपा के कई नेता समाजवादी रहे हैं। सूबे में भाजपा की सरकार बनने के बाद अब सरकारी योजनाओं से समाजवादी शब्द हटाया जाएगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार देर रात चली बैठक में यह निर्देश दिए। वहीं मुख्यमंत्री ने नई परंपरा की शुरुआत करते हुए योजनाओं के नाम के आगे केवल ‘मुख्यमंत्री’ शब्द लिखने के निर्देश दिए हैं, साथ ही केंद्रीय योजनाओं के नाम में किसी तरह का कोई फेरबदल नहीं करने और उसे केंद्र की मंशा के मुताबिक ही चलाने के निर्देश दिए हैं। गुरुवार देर रात खादी एवं ग्रामोद्योग विभाग की समीक्षा बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने इस मामले को कैबिनेट के सामने पेश करने को कहा ताकि इसकी समीक्षा की जा सके। कई योजनाएं आएंगी दायरे में मुख्यमंत्री के इस निर्देश के बाद पूर्ववर्ती सपा सरकार के कार्यकाल में शुरू की गयी कई योजनाओं के नाम बदल जाएंगे। समाजवादी पेंशन योजना अब मुख्यमंत्री पेंशन योजना के नाम से जानी जाएगी। इसी तरह समाजवादी एंबुलेंस (108), समाजवादी पूर्वाचल एक्सप्रेस- वे, समाजवादी नमक, समाजवादी किसान एवं सर्वहित बीमा योजना, समाजवादी आवास योजना, समाजवादी युवा स्वरोजगार योजना, समाजवादी पौष्टिक आहार योजना आदि मुख्य है। ध्यान रहे कि चुनाव के दौरान भाजपा ने सरकारी योजनाओं में समाजवादी शब्द हटाने की मांग की थी जिसके बाद चुनाव आयोग ने एंबुलेंस से इसे हटाने के निर्देश भी दिए थे। वहीं सरकार बनने के बाद से तमाम योजनाओं से समाजवादी शब्द हटाए जाने की मांग भाजपा नेताओं द्वारा लगातार की जा रही थी। विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीरेंद्र कुमार मौर्या कहते हैं कि अखिलेश यादव ने भी जो कांशीराम की योजना थी उसे बदला था। कांशीराम स्मृति उद्यान मायावती ने मुख्यमंत्री रहते हुए बनवाया था। उसमें केवल जनेश्वर मिश्रा की मूर्ति लगवाई और योजना का नाम बदल दिया। कांशीराम उर्दू फारसी विश्वविद्यालय का नाम बदल दिया था। इसका ख्वाजा मोइनुद्दीन चिस्ती रखा दिया। किसी भी पूर्ववर्ती सरकार द्वारा यदि कोई योजना चलाई जाती है। तो आने वाली सरकार को उसे आगे बढ़ाने का काम करना चाहिए। योजना बंद हो जाए तो दूसरी बात है। जहां का नामकरण न हुआ हो वहां तो किसी भी महापुरुष का नाम रख दिया जाए तो ठीक है, लेकिन इस तरह की परिपाटी ठीक नहीं। ं ं लेखक- - (विनय यादव जजवारा ,फैजाबाद)
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