शनिवार, 8 अप्रैल 2017

झूठ की विजय ही भारत का नया लोकतंत्र--विनय यादव

यह भारत का नया लोकतंत्र है। यह भारत की वह जनता है जिसका किसी को वोट देने का पैमाना अब उसके कार्य का आकलन नहीं बल्कि एक धर्म के लोगों से चिढ़ है। यह भारत की नयी व्यवस्था है जहाँ 16 साल अपने लोगों के लिए अनशन कर चुकी इरोम शर्मिला उन्हीं अपने लोगों से मात्र 90 वोट पाती हैं। अर्थात इस कलयुग में जनता के लिए संघर्ष की कोई कीमत नहीं। चुनाव युद्ध है जहाँ सत्यवादी युधिष्ठिर का सच नहीं कौरवों का झूठ छल और मक्कारी जीतती है। यह भारत की नयी व्यवस्था है जहाँ चुनावी वादों को "जुमला" और "चुनाव में यह बोला ही जाता है" कह कर एक राष्ट्रीय अध्यक्ष और प्रधानमंत्री खुद झूठा घोषित कर देता है फिर भी जनता उन्हें समर्थन पर समर्थन देती चली जाती है। यह भारत की नयी व्यवस्था है जहाँ सबसे बड़ी पार्टी गोवा और मणिपुर में तमाशा देखती है और उससे बहुत कम जनाधार वाली पार्टी सारी परम्पराओं को तोड़कर सरकार बना लेती है। यह भारत का नया युग है जहाँ सबसे अधिक वोट पाकर भी लोग नैतिक रूप से हार जाते हैं और हारी इरोम शर्मिला के 90 वोट देश को हिला देते हैं। विजय तो इरोम शर्मिला ने प्राप्त की है कि उनका यह 90 वोट देश को कचोट रहा है। यह नया भारत है जहाँ "सत्यमेव जयते" पर "झूठमेव जयते" विजय प्राप्त कर लेता है।

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